मस्त विचार 4191

जब नासमझ थे, तो ख्वाब हमारी मुट्ठी में थे,

_ समझ आयी तो हम ख्वाबों की मुट्ठी में थे !!

कुछ ख्वाब उन्होंने तोड़ दिए, बाकी मैंने देखने छोड़ दिए !!

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