ध्यान अनुभव – मैडिटेशन अनुभव – meditation experience

हल्का, प्रसन्न, स्थिर, या मौन, सरलता, प्रेम
संतुलन में सिमटा हुआ था मैं…

_ पर शायद यह भी लोगों की आँखों को अखरता है.

_ वे उस स्थिरता को झेल ही नहीं पाते,

_ पर अच्छा है… मैं जानता हूं कि खुद को कैसे संभालना है.

_ जो भीतर समेट सकता है, वही सच में सशक्त होता है.

_ पर याद रखना — स्थिरता कोई कमजोरी नहीं, वह गहराई की निशानी है.!!

आज संडे मॉर्निंग मैंने Group Meditation किया.

_ हालाँकि मैं रोज़ एक घंटा एकांत में Meditation करता हूँ, लेकिन आज का Group Meditation अनुभव बहुत ही विशेष और गहराई से स्पर्श करने वाला रहा.

_ Meditation के दौरान वातावरण की शांति, सभी साधकों की सामूहिक ऊर्जा और केंद्र की सात्विकता ने मेरे Meditation को सहज रूप से भीतर गहराई तक ले गया.

_ वहाँ का vibe बहुत ही अपनापन देने वाला था — जैसे कोई भी प्रयास किए बिना अंतर स्वतः ही शांत और स्थिर हो गया.

“अकेले में शांति थी, और सभी के संग में शांति का गहरा स्वर था”

_ मैं आभारी हूँ कि मुझे इस Group Meditation में सम्मिलित होने का अवसर मिला. ऐसे अनुभव आत्मा को पोषण देते हैं.

– अपनी आत्मा को बेचकर मन को पोषित करना गुनाह है, _ यदि आप ऐसा करेंगे तो आपका जीवन दम घोंटू बन कर रह जाएगा.!!

मैडिटेशन का अनुभव (मेरी ओर से)

_ आज सुबह का मैडिटेशन अनुभव कुछ अलग ही रहा.

_ भीतर एक अनकहा मौन था, और बाहर एक सहज ऊर्जा का स्पर्श.

_ ग्रुप मैडिटेशन में बैठकर ऐसा लगा.. जैसे मेरी अपनी हलचलें किसी गहरे सागर में उतरती जा रही हों.

_ पहली बार ऐसा नहीं था कि मैं मैडिटेशन में बैठा,

_ पर आज कुछ ऐसा था जो “सिर्फ मेरे भीतर नहीं, सबके बीच भी शांति” बन गया.

_ विचार आए — पर ठहरे नहीं.

_ साँसें चलती रहीं — पर जैसे किसी और गति से.

_ और अंत में जब आँखें खुलीं, तो मन वही नहीं था —

_ थोड़ा हल्का, थोड़ा निर्मल, थोड़ा और पास खुद के.

_ वहां का वातावरण इतना सहज और शांत था कि.. लगा जैसे मैडिटेशन सिर्फ क्रिया नहीं, एक आत्मीय संगति है.

—🌿> “आज का मैडिटेशन मौन नहीं था, एक करुणा थी — जो भीतर से बह चली”

ध्यान करते- करते ऎसा एक गहरा स्वाद आ जाता है, जिसमे निश्चय हो जाता है कि हमारे भीतर एक अपार स्त्रोत है : सुख का.

_ ‘ध्यान’ सबसे खूबसूरत चीज़ है, इसमें कमाल का आकर्षण है,

_ इसमें हम उस दुनिया में चले जाते हैं जहाँ कोई दुःख नहीं, और सुकून ही सुकून है ;

_ वहाँ कोई सवाल नहीं पूछता कोई जवाब नहीं माँगता बस, एक धीमा धुंधलका होता है, जिसमें इंसान खुद से भी आँखें मिला लेता है.!!

अनुभव – हृदय से हृदय तक की यात्रा..

_ आज के मैडिटेशन में जैसे ही आँखें बंद कीं, एक कोमल शांति ने मुझे घेर लिया.

_ मन की हलचलें धीरे-धीरे शांत होने लगीं, और भीतर एक मौन की सरिता बहने लगी.

_ वहां कोई शब्द नहीं थे — बस हृदय की धड़कनों के साथ एक अदृश्य संगीत गूंज रहा था.

_ ऐसा लगा मानो कोई मुझे भीतर से थामे हुए है — न कोई आग्रह, न कोई लक्ष्य — केवल प्रेम, स्वीकृति और उपस्थिति..

_ कुछ पल बाद यह अनुभव और गहरा हुआ… जैसे मैं स्वयं ही अपने हृदय की रोशनी में विलीन हो गया.

_ मेरा अस्तित्व जैसे एक बूँद से सागर में बदल गया — कोई सीमा नहीं, कोई नाम नहीं — केवल एक गहरा, निशब्द मिलन.

_ यही है — जहाँ ध्यान [Meditation], प्रयास नहीं — एक निमंत्रण बन जाता है, भीतर के सच्चे ‘मैं’ से मिलने का.!!

दरअसल जब मैं “मैं” नहीं रहता हूँ तो मैं कहीं भी बैठ सकता हूँ, कहीं भी खा सकता हूँ, कहीं भी सो सकता हूँ.

_ एक तरह का सर्वस्वीकार और आनंददायक सरलता मेरे भीतर आ जाती है.

_ कौन ग़रीब है कौन अमीर, कौन शिक्षित है कौन अशिक्षित, कौन नास्तिक है कौन आस्तिक है किसी चीज से मुझे फर्क नहीं पड़ता.

_ यही है choicelessness, अपने को छोड़ना, अपने स्वत्त्व को छोड़ना, मैं हूं को छोड़ना, फिर जो हो सो हो… इसी को let go कहा गया.!

_ अंग्रेजी में कहो, फ्रेंच में कहो, संस्कृत में कहो, हिंदी में कहो, बात वही रहती है.

_ मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए, फर्क पड़ रहा है तो प्रॉब्लम मुझमें है.

_ जो शून्यवत हो गया वो तो वैसे ही साक्षी हो गया और जो साक्षी हो जाता है वो कर्म में लिप्त नहीं होता है.

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