मस्त विचार 1110

क्यूँ होता है ऐसा ?

अक्सर मैं सोचा करता हूँ, दुनिया भर की बातें

इस चिंता मे राख करी हैं मैंने कितनी रातें,

सब कुछ मेरी सोच मुताबिक कभी नहीं होता है

या तो मैं अलग हूँ इस दुनिया से

या ये सबके साथ मे भी होता है

लेकिन फिर भी सारी दुनिया कुछ नहीं कहती है

अपने दिल मे चुपके चुपके सब कुछ ये सहती है

ये दुनिया अपनी है तो फिर क्यूँ है लोग पराये ?

कोई खुशियों मे डूबा है किसी पे गम के साये !!

दूसरों का दुःख देखकर क्यूँ खुश होते कुछ लोग ?

खुशी किसी की देखकर जलते क्यूँ हैं लोग ?

क्या ये मुमकिन है

सारी दुनिया सबको समझे अपना

पता नहीं कितने लोगो ने देखा ऐसा सपना ?

जन्नत क्या है दोजख क्या है शायद सबने देखा है

खुद करते हैं फिर कहते है

ये तो किस्मत का लेखा है.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected