मत पूछो तुम परिचय मेरा, मैं राही दीवाना.
ऊँची – नीची डगर हमारी, पथरीली चट्टानें.
बिछे हुए हैं पग-पग पर काँटें, देख लगे मुस्काने.
सहता दुःख की चोट निरन्तर,पर आगे बढ़ते जाना.
हँसता रहता, कभी अधर पर अपने आह न लाता.
जिसे न कोई सुनने वाला, मैं हूँ वह अफसाना.
मत पूछो तुम परिचय मेरा, मैं राही दीवाना.