मस्त विचार 1161

मत पूछो तुम परिचय मेरा, मैं राही दीवाना.

ऊँची – नीची डगर हमारी, पथरीली चट्टानें.

बिछे हुए हैं पग-पग पर काँटें, देख लगे मुस्काने.

सहता दुःख की चोट निरन्तर,पर आगे बढ़ते जाना.

हँसता रहता, कभी अधर पर अपने आह न लाता.

जिसे न कोई सुनने वाला, मैं हूँ वह अफसाना.

मत पूछो तुम परिचय मेरा, मैं राही दीवाना.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected