चलो सब गिले शिकवे भूल जाते हैं,
आओ सब गले मिल जाते हैं।
गलतफहमियों में क्यों बरबाद करते हैं,
जीवन के कीमती लम्हे,
चलो सब घुलमिल जाते हैं।
अपनों को अपनों से मिलाते हैं,
आपस के भेद मिटाते है,
दूसरे के गम पर,
हम भी आँसू बहाते है,
खुशियों में संग खुशियां मनाते है।
कुछ बढ़ा कर, कुछ घटा कर,
अब ना दुरी बढ़ाते है,
कुछ जोड़ कर, कुछ छोड़ कर, चल,
दिलों को दिल से मिलाते है ।
जीवन की इस आपाधापी में,
कुछ दौड़ जरुरी है,
कुछ हो जाती है गुस्ताखियाँ,
आखिर ये भी तो मज़बूरी है,
चलो, सब भूल कर, अब झुक जाते हैं ।
खुद जीते हैं, औरों को भी जीना सिखाते है।
पास रह कर भी, क्यों दूर चले जाना,
मंजिल अलग अलग है,
मगर एक ही रास्ते से तो है, हमें जाना,
चलो बोलते, बतियाते, सबका दिल बहलाते हैं।
जरूरतें पूरी करते करते,
किस दौड़ में हो गए शामिल,
हसरतों का कोई मुकाम नहीं होता,
अंधी दौड़ का अच्छा अंजाम नहीं होता,
चलो थोड़ा रुक जाते है,
फिर से इक इक मोती पिरोकर,
रिश्तों की माला बनाते है ।
चलो सब मिल जाते हैं ।
।। पीके। ।।