मस्त विचार – अपने साए को इतना समझाने दे – 1463

अपने साए को इतना समझाने दे,

मुझ तक मेरे हिस्से की धूप आने दे.

एक नज़र में कई ज़माने देखे तो,

बूढ़ी आँखों की तस्वीर बनाने दे.

बाबा दुनिया जीत के मैं दिखला दूँगा,

अपनी नज़र से दूर तो मुझको जाने दे.

मैं भी तो इस बाग़ का एक परिंदा हूँ,

मेरी ही आवाज़ में मुझको गाने दे.

फिर तो ये ऊँचा ही होता जाएगा,

बचपन के हाथों में चाँद आ जाने दे.

फ़सलें पक जाएँ तो खेत से बिछ्ड़ेंगी,

रोती आँख को प्यार कहाँ समझाने दे.

 

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