मस्त विचार – साल 2020 गुजर गया – 2810

चाहे तू कैसा भी गुजरा हो 2020 ;

लेकिन सिखा तूने बहुत कुछ दिया..

कुछ दिन जरूरतों पर खर्च कीजिए, शौक पर नहीं..

कुछ दिन समझौते कीजिए, शिकायत नहीं..

कुछ दिन समझदारी दिखलाइये, गुस्सा नहीं..

बस कुछ दिन की ही तो बात है भैया…

ए गुजरे हुए साल भले ही कुछ ना दिया हो तूने,

पर जाते जाते जिंदगी के बहुत सारे सबक दे गया..

ये साल तो दूरियों में ही बीत गया ,

यारों_ दुआ करना अगला साल मुलाकातों में बीते..!!

जाने क्या घुला इस साल, इस बार फिज़ा में,

ये आंखें इसी साल में कई बार भरी हैं,

आंखें तो यूं भी पहले भी भरती रहीं अक्सर,

पर इस बरस ये आंखें लगातार भरी हैं.

हर दौर कभी तो ख़त्म हुआ ही करता है,

हर कठिनाई कुछ राह दिखा ही देती है.

हाथो से छूटे हाथ दिलो में एक टीस दे गया,

दुनिया को बहुत दर्द 2020 दे गया.

तेरा शुक्रिया भी अदा करते हैं 2020,

क्योंकि तूने हमें मजबूत भी बनाया है..

क्या सिखा गया 2020 : सबसे बड़ी चुनौतियां ही भविष्य की नींव रखती हैं,

ये वक्त भुलाइये नहीं…..इसकी सीख हमेशा याद रखिए.

2020 एक सख्त अध्यापक की तरह है,

जिसके सबक हमें उम्रभर काम आएंगे.

वैसे तो पूरा साल दो गज़ दूरी में रखा गया ……साहेब…

पर यह साल #अपनों के साथ रहना सीखा गया !

क्या अजीब दौर आया है, ” जो बीमार है, वह अकेला रहेगा “

” और जो अकेला रहेगा, वह कभी बीमार नहीं होगा “

पूरी क़ायनात में यह क़ातिल बीमारी की हवा हो गई,,

वक़्त ने कैसा सितम ढाया की दूरियां ही दवा हो गईं,,,

बड़ा रंगीन रहा ये साल,

हर किसी ने अपना रंग दिखाया..

आप तो साल बदलता देख रहे हैं ..

मैंने तो साल भर, लोगों को रंग बदलते देखा है ..

अच्छा रहेगा कि ये साल फिर दुबारा लौट के न आए ,

क्यूंकि इस साल में ना जाने कितनो के चेहरे से नकाब उतर गए जनाब ,

वो अच्छा था कि कम से कम दिखावे के लिए ही सही अपने तो कहलाते थे.

हवाओं से कह दो, रुख बदल दे अपना

हम एक साथ इतने लोगों का दुख न देख पायेंगे

बहुत कुछ सिखा दिया हालातों ने, और बाद में सीख जायेंगे.

2020 से एक सबक मिला,

लोगों से दूर रहने में ही फायदा है..

2020 ने हम सबको सिखाया कि छुट्टियां लिमिट में ही अच्छी लगती हैं..
दिसम्बर की तरह हम भी अलविदा कह देंगे एक दिन,

फिर ढूंढ़ते फिरोगे हमें जनवरी की सर्द रातों में…

इतना कुछ समेटा था खुद में,

इस एक साल ने जैसे सब कुछ छीन लिया..

कुछ अपनों को पराया तो कुछ परायों को अपना कर गया,

देखते ही देखते एक और साल गुजर गया.

दिसंबर तुझसे भी कोई शिकायत नहीं,

मेरी बर्बादी में शामिल पूरा साल रहा..

कौन कहता है वक़्त मरता नहीं,

हमने सालों को ख़त्म होते देखा दिसम्बर में !

समझ नहीं आता है कि नए साल का लोग इतनी बेसब्री से क्यों इंतज़ार करते हैं~

जबकि करना अगले साल भी कुछ नहीं..!!!

थोड़ा सा हसा के, थोड़ा सा रूला के

साल ये भी जाने वाला है.

अजीब सा वक़्त है…..

कट कम रहा है….काट ज्यादा रहा है…

हाल बदले तो कुछ बात बने,

साल तो हर साल बदलता है.

भुला दो बीता हुआ कल, दिल में बसाओ आने वाला कल,

हंसो और हँसाओ, चाहे जो भी हो पल, खुशियाँ लेकर आयेगा आने वाला कल..

मिले ज़ख़्म इस साल जितने हमें…

चलो जश्न उनका मनाऐं कहीं…

कुछ ही लम्हों में साल होगा नया…

चलो हँस के लम्हे बिताऐं कहीं….

आज साल का आखिरी दिन है, कल नया साल हो जायेगा ..

झूम लो, गा लो, माफ कर दो, मना लो, हँस लो …

क्योंकि ये साल फिर लौट के ना आएगा..

दरख़्त ए ज़िन्दगी से इक और पत्ता टूट कर गिर गया,

साल ऐसे गुज़रा जैसे कोई मेहमॉं आकर वापस अपने घर गया..

कोई हार गया, कोई जीत गया,

ये साल भी आखिर बीत गया..!!

बूढ़ा दिसम्बर जवाँ जनवरी, के कदमों में बिछ रहा है ;

लो इक्कीसवीं सदी को, इक्कीसवाँ साल लग रहा है.

सूरत के शौकीनों को सीरत सिखा गया,

हर हसीं चेहरों पे नक़ाब पहना गया,

इंसान से इंसान को दूर दूर करके, फासलों के दरमियाँ,

सलीका प्यार का सिखला गया !!

साल जैसा भी था 2020 गुज़र गया, चला गया !!

साल की आखिरी रात जाते जाते ये आशीर्वाद दे जाये…

कल का सबेरा हो खूबसूरत, और हर घर में खुशियां छाये…

साल निकल रहा है,…..,

कुछ नया होता है .. कुछ पुराना पीछे रह जाता है,

कुछ ख्वाहिशें दिल में रह जाती हैं .. कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..

कुछ छोड़ कर चले गये .. कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर में ..

कुछ मुझसे खफा हैं … कुछ मुझसे बहुत खुश हैं ..

कुछ मुझे भूल गये .. कुछ मुझे याद करते हैं ..

कुछ शायद अनजान हैं .. कुछ बहुत परेशान हैं,,

कुछ को मेरा इंतजार है .. कुछ का मुझे इंतजार है ..

कुछ सही है .. कुछ गलत भी है.

कोई गलती हो तो माफ कीजिए ..और

कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये..

कितना अजीब है ना,

*दिसंबर और जनवरी का रिश्ता ?*
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा…
दोनों काफ़ी नाज़ुक हैं
दोनो में गहराई है,
दोनों वक़्त के राही हैं,
दोनों ने ठोकर खायी है…
यूँ तो दोनों का है
वही चेहरा-वही रंग,
उतनी ही तारीखें और
उतनी ही ठंड…
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग…
एक अन्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह,
और सुबह से रात…
एक में याद है
दूसरे में आस,
एक को है तजुर्बा,
दूसरे को विश्वास…
दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे
धागे के दो छोर के जैसे,
पर देखो दूर रहकर भी
साथ निभाते हैं कैसे…
जो दिसंबर छोड़ के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है,
और जो जनवरी के वादे हैं
उन्हें दिसम्बर निभाता है…
कैसे जनवरी से
दिसम्बर के सफर में
११ महीने लग जाते हैं… लेकिन
दिसम्बर से जनवरी बस १ पल में पहुंच जाते हैं !!
जब ये दूर जाते हैं
तो हाल बदल देते हैं,
और जब पास आते हैं
तो साल बदल देते हैं…
देखने में ये साल के महज़
दो महीने ही तो लगते हैं,
लेकिन…
सब कुछ बिखेरने और समेटने
का वो कायदा भी रखते हैं…
दोनों ने मिलकर ही तो
बाकी महीनों को बांध रखा है।
अपनी जुदाई को
दुनिया के लिए
एक त्यौहार बना रखा है..!

 

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected