फिर एक दिन हसरतों से हार कर,
हकीकत से मैंने भी दोस्ती कर ली !!!
हसरतों को छोड़ना ही उचित है, क्योंकि
यह दुखों को निमंत्रण है; हकीकत में आना ही सुखों का आगमन है.
हकीकत से मैंने भी दोस्ती कर ली !!!
यह दुखों को निमंत्रण है; हकीकत में आना ही सुखों का आगमन है.