उजाले के लिए काफी नही है सूरज का निकल आना,
_ यह भी जरूरी है कि आंखें खुली रहे.
किसी दिन जब सूरज बादलों के पीछे छिप जाया करता है और दिनभर नहीं निकलता तो.. हमें उतना फर्क नहीं पड़ता..
_ जितना कि घर की बिजली एक दिन के लिए गुल हो जाने पर हम चिड़चिड़े से हो जाते हैं,
_ न मिल के भी उदास नहीं करती हैं पहुँच से दूर की चीजें, कचोटती वो हैं जो पास में होकर भी न मिले…!