” न तो हर कोई आपको समझ सकता है और न आप हर किसी को समझ सकते हैं,
इसलिए अधिक सोचकर खुद को दुखी नहीं करें _ चलते रहें, प्रेम बिखेरते रहें
और नियति से मिली हर चीज का स्वागत करते रहें “
इसलिए अधिक सोचकर खुद को दुखी नहीं करें _ चलते रहें, प्रेम बिखेरते रहें
और नियति से मिली हर चीज का स्वागत करते रहें “