मस्त विचार 3293

जीवन का सफर यूँ ही तनहा बीत गया, _

_ और कहने को कदम – कदम पर अपने थे ..

होश का पानी छिड़को मदहोशी की आँखों पर, _

_ अपनों से कभी ना उलझो ऐरौ गैरों की बातों पर..

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