सुखी मनुष्य वह है जो अतिथि को देख कर कभी मुंह नहीं लटकाता, अपितु हर अतिथि का प्रसन्नतापूर्वक स्वागत करता है.
वहां मत जाइए जहां रास्ता ले जाए, बल्कि वहां जाइए जहां कोई रास्ता नहीं है और वहां अपने निशान छोड़ जाइए.
महान व्यक्तियों की विपत्तियां ही उन की समृद्धि का कारण रही हैं. पतंग हवा के विरुद्ध ही उड़ती है.
प्रेम में, ज्ञान में और सौंदर्य में कभी अति नहीं होती, जब ये गुण पूर्ण शुद्ध अर्थ में समझे जाएँ.
असंतोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है.
सुसंपन्न कार्य का पुरस्कार उस का संपन्न कर लेना ही है.
मित्र पाने का एकमात्र उपाय स्वयं मित्र बनना है.
अच्छा पाठक ही पुस्तक को अच्छा बनाता है.