*” निखरती है मुसीबतों से ही शख्सियत यारों !!*
_ *जो चट्टान से ही ना उलझे वो झरना किस काम का !!*
मत कोस जिंदगी को, ये मुसीबतों में खलती है..
_ ये जिंदगी है यार, हौसलों से चलती है..!!
शख्सियत जितनी अच्छी होगी, दुश्मन भी उतने ही बनेगें ; वरना बुरे की तरफ देखता ही कौन है ?
_ क्योंकि पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंकें जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ;
_ कभी भी देखा है, किसी सूखे पेड़ पर पत्थर फेंकते हुए ;
_ इसलिए अपनी शख्सियत को उच्च कोटि की बनाने पर ध्यान दें.!!
तालाब एक ही है, उसी तालाब में हंस मोती चुनता है और बगुला मछली,
_ सोच-सोच का फर्क होता है, आपकी सोच ही आपको बड़ा बनाती है,
_ यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते हैं तो काँटों के साथ तालमेल की कला सीखनी होगी.!!