“मैं अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करूँगा,
_ पर किसी की असलियत को स्वीकार ज़रूर करूँगा.!!”
कुछ चीजें अकड़ की वजह से नही, बल्कि आत्मसम्मान के लिए छोड़नी पड़ती है.
जिसे अपनी क़ीमत पता है, वो समझौता नहीं करता.!!
अपनी कीमत खुद समझो, जो आपको नहीं समझते,
_ उनके सामने झुकना सिर्फ खुद के आत्मसम्मान को गिराना है.!!
दुनिया में कई लोग मजबूरी में झुक जाते हैं, लेकिन जो अपनी इज्ज़त जानते हैं,
_ वो हालात से भी समझौता नहीं करते.!!
_ वो हालात से भी समझौता नहीं करते.!!
बेशक़ समझौता समाधान कर सकता हैं.
_पर खोया हुआ सम्मान कदापि नहीं.!!
समझौतों का ज़माना खत्म हुआ..! अब लोग अपने मन-मुताबिक जीते हैं.!!