“पानी को बर्फ में बदलने में वक्त लगता है,
ढले हुए सूरज को निकलने में वक्त लगता है !
थोड़ा धीरज रख, थोड़ा और जोर लगाता रह,
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को खुलने में वक्त लगता है !
कुछ देर रुकने के बाद फिर से चल पड़ना दोस्त,
हर ठोकर के बाद संभलने में वक्त लगता है !
बिखरेगी फिर वही चमक तेरे वजूद से तू महसूस करना,
टूटे हुए मन को संवरने में थोड़ा वक्त लगता है !
जो तूने कहा कर दिखायेगा रख यकीन,
गरजे जब बादल तो बरसने में वक्त लगता है !
खुशी आ रही है और आएगी ही, इन्तजार कर,
जिद्दी दुख को टलने में थोड़ा सा वक्त तो लगता है.