【ज़िंदगी का सफ़र】
कुछ दिन पहले अचानक बैग की ज़िप ख़राब हो गई, तो ज़िप रिपेयर कराने ले गया था और ले जाने के पहले सोचा बैग को पूरा ख़ाली कर लेता हूँ, और जब बैग को ख़ाली करने लगा तो यक़ीन मानिए के बिना मतलब की चीज़ें भी निकली बैग से, जो बेवजह ही ज़रूरत न होते हुए भी बैग में पड़ी थीं और बस वज़न बढ़ा रही थीं बैग का..और मैं सोचता था कि ये बैग इतना वज़नी क्यूँ हो गया है..
एक सबक मिला इससे..दरअसल ऐसे ही ज़िंदगी है हमारी। हम बहुत सी बिना मतलब की चीज़ों, वजहों, शिकवों, शिकायतों, इमोशन्स और बातों को लाद लेते हैं ख़ुद पर और वक़्त के साथ ये बातें, शिकवे, दर्द और भी बढ़ते जाते हैं, और नतीज़तन ज़िंदगी को जीना मुश्किल होता जाता है..
क्यूँ नहीं हम भी समय-समय पर अपने मन और दिमाग की सफाई करते रहें और बेवजह के लोग, बातें, यादें जो बस ज़िंदगी को भारी बनाते हैं, उन्हें निकालते जाएँ..हम सोचते हैं कि कितनी मुश्किल ज़िंदगी है, इसे जीना और चलना कितना मुश्किल है लेकिन दरअसल हम ख़ुद जब इतना बेवजह का वज़न लेकर चलते हैं जो हमें नहीं दिखायी देता..
इसलिए, बेमतलब का जो भी भार हो; उसे हटाते रहिये अपने मन से..बुरी यादों और लोगों को कम करिए और अच्छे लोगों को जोड़िए क्यूँकि बुरी यादें और लोग कम होंगे तो वज़न कम होगा सफ़र का..और अच्छे और आपके मन वाले लोग और यादें होंगी तो सफ़र और भी आसान होगा..
कहने का मतलब ये कि, अच्छे लोगों को पकड़ कर रखिए और जो आपके मुताबिक़ नहीं उन्हें निकल जाने दीजिए…सिर्फ़ अच्छी बातें और यादें साथ रखिए, बुरी यादों को उतारकर वज़न कम कर दीजिए…ज़िंदगी बहुत ख़ूबसूरत है, इस नज़रिए से देखिये ज़रा..