“उम्र को” दराज में रख दें, उम्रदराज न बनें।
खो जाएं जिन्दगी में, मौत का इन्तजार न करें।
जिनको आना है आए, जिसको जाना है जाए,
पर हमें जीना है, हैं, ये न भूल जाएं।
जिनसे मिलता है प्यार, उनसे ही मिलें बार बार,
कभी बचपन को जीएं, तो कभी जवानी को,
पर न छोड़ें बुढापे में भी सपने संजोने को।
महफिलों का शौक रखें, दोस्तों से प्यार करें,
जो रिश्ते हमें समझ सकें, उन रिश्तों की कद्र करें।
बंधें नहीं किसी से भी, ना किसी को बँधने पर मजबूर करें।
दिल से जोड़ें हर रिश्ता, और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।
हँसना अच्छा होता है, पर अपनों के लिये रोया भी करें।
याद आएं कभी अपने तो, आँखें अपनी नम भी करें,
ध्यान रखें कि जिन्दगी चार दिन की है,
तो फिर शिकवे शिकायतें कम ही करें …
*उम्र को* दराज में रख दें ” उम्रदराज न बनें।”