ज़िंदगी को बहुत सीरियसली लिया मैंने…
हर बात के अर्थ निकाले …
हर ख़ामोशी समझी …
हर आँख को पढ़ा मैंने …
अंत में जाना ..
जीवन सहज होने में है, यूँ ही जीने में है …
जंग नहीं खेल है ..
कोई फर्क नहीं पड़ता हार जाने से …
न फर्क पड़ता गिर पड़ने से …
उठो कपड़े झाड़ो चल पड़ो …
न बोझ बनो किसी पर ..
न किसी को बोझ बनाओ ..
जितना मिले नाचो गाओ ..
कभी मन करे तो चुप हो जाओ ..
पर अब हर बात में अर्थ न ढूंढो ..