“जीत हमारी ही होगी” ————————
सदियों से सफलता उन्हीं को मिली है, जो “हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहते हैं”, यानी कि “जिन्होंने सीखने (learning) को अपनी आदत (Habit) बना लिया है”. जो सीखने की कला जानते हैं, जो हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहते हैं उनका भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई दो राय नहीं है. पर महत्वपूर्ण प्रश्न है कि यह “सीखने की कला क्या होती है और इसे कैसे विकसित किया जाता है ?”
“सीखने की कला” के लिए कुछ महत्वपूर्ण चीजें हमें याद रखनी होंगी – 1. “जिज्ञासा (Curiosity)” – सीखने की सबसे पहली शर्त है, जिज्ञासा (Curiosity). जब भी हम कुछ सीखना चाहते हैं, तो उसके ऱास्ते में बहुत तरह की बाधाएं आती है, बस यहीं पर जरुरत है – धैर्य (Patience) और लगनशीलता (Sincerity) की. अपने टीचरों से प्रश्न पूछते रहिये, पूछते रहिये, जब तक हमें पूरी तरह से संतुष्टि न मिल जाये, पूछने में कभी भी मत शर्माइये. पूछते वक़्त कभी मत सोचिये कि “दुनिया क्या कहेगी.” मित्रों दुनिया तो तब कहेगी जब कुछ नहीं बनेंगे.
2. “अच्छा श्रोता (Good Listener)” – इसके बाद महत्वपूर्ण है अच्छे श्रोता होना, जब कुछ अच्छा सुनने के बाद हमारे दिमाग में जायेगा, तभी तो हम उन विचारों में प्लस, माइनस (+-) करेंगे. “हमारा बातूनी होने से ज्यादा अच्छा है अच्छे श्रोता होना.” हमें धैर्य के साथ दूसरों की बातें सुनने की क्षमता को किसी भी हाल में अपने अंदर विकसित करना ही होगा. इसके बाद जानकारी हासिल करने के बाद हमें उसे आजमाना भी पड़ेगा. आजमाते आजमाते कहीं पर हम सफल होंगे, कहीं असफल.
3. अभ्यास जरुरी (Practice) – कहते हैं, Practice makes a man perfect. जी हां, यह सच है कि अभ्यास से ही सब कुछ हासिल किया जा सकता है. जो कुछ भी सीखा है, जब तक उसका अभ्यास नहीं किया जाए, उस पर हमारी पकड़ मजबूत नहीं होती.
4. पुरानी आदतों से छुटकारा (Clearly Say, No to old Bad Habits) – कहते हैं, पुरानी आदतें बहुत मुश्किल से छूटती हैं, इसलिए अगर खुद को बदलना है, तो पुरानी आदतों की जगह नई सही आदतें शामिल करना होंगी. तो क्या हम अपनी आदतों से छुटकारा पा सकते हैं ? जी, हां, मजबूत इच्छा शक्ति (Will Power) के बल पर उनसे छुटकारा पाया जा सकता है. कोई भी पुरानी आदत एकदम से नहीं छुटती …… इसलिए उस पर धीरे-धीरे काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए. पर अगर हम चाहे तो “लगातार 21 दिनों” की practice से उससे छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है.
5. “अच्छे काम” को आने वाले कल के लिए “न टालना” – हमारी सबसे बड़ी कमी, अच्छे काम को आने वाले कल के लिए टालना और कम महत्वपूर्ण कामों को तुरंत करना. “मित्रों ये एक बीमारी है.” जिस दिन हम “अच्छे काम को तुरंत” और “कम महत्वपूर्ण काम को आने वाले कल के लिए टाल देंगे” तो समझ लीजियेगा कि हमने 90% लड़ाई तो जीत ली.
6. टाइम मैनेजमेंट (Time Management) – हो सकता है, हमें ऐसा लगता हो कि हमारे पास तो एक मिनट भी नहीं बचता है, कोई नई चीज सीखें भी तो कैसे ? मित्रों मान कर चलिए कि हर व्यक्ति के पास दिन में 24 घंटे ही हैं. आवश्यकता इस बात की है कि हम कितनी खूबसूरती के साथ टाइम मैनेज करते है….
मित्रों सफलता की सीढ़ी का सबसे महत्वपूर्ण point, ये please, please, please बहुत ही ध्यान से पढ़ियेगा, ये हम सभी के लिए “एक नया concept” है :-
7. वैकल्पिक, अवसर लागत (Opportunity Cost) – मित्रों ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण concept है जिसे हमें समझना पड़ेगा. इसको हर तरीके से समझते हैं :- (i) मान लीजिये हम कहीं से tuition पढ़ते हैं और हमें वहां समझ नहीं आ रहा है और हमने एक महीने की फीस भी दे दी है. अब होता क्या है कि हम सोचते हैं कि हमें तो अब पूरे महीने इसी जगह से tuition पढ़नी पड़ेगी. बस यही गलती कर जाते हैं हम सब. अगर हमें समझ नहीं आ रहा है और हमने फीस भी दे दी है “तो भी, जी हाँ तो भी” तुरंत छोड़ कर किसी दूसरे टीचर के पास जा कर पढ़ना चाहिए. मित्रों पैसे से ज्यादा हमारा समय कीमती है ये बात हमेशा ध्यान रहे.
(ii) अगर हमें घर से ऑफिस पहुँचने में 2 घंटे आने और 2 घंटे घर पहुँचने में लगते हैं तो हमें ऑफिस के पास कोई जगह लेनी चाहिए. मित्रों पैसे से ज्यादा हमारा समय कीमती है ये बात हमेशा ध्यान रहे.
(iii) मित्रों अगर हमने किसी को पैसे उधार दिए हैं और हमारे बार बार माँगने के बावजूद वहां से पैसे वापस नहीं आ रहे हैं तो हमें ये देखना होगा कि रोज रोज उसके घर जा कर पैसे माँगने में फायदा है या हमारे उतने ही टाइम में, “कोई और काम करने में फायदा है.”
(iv) किसी भी काम को खुद करना है या अपना एक जूनियर रखना है, सबसे पहले opportunity cost check करिये.
(v) मित्रों इसी तरह के हजारों उदाहरणों से हम opportunity cost का पता लगा सकते हैं.
मित्रों जो भी आज तक सफलता की सीढ़ियों पर कामयाब हुए है उन सबने वैकल्पिक, अवसर लागत (Opportunity Cost) को सबसे ऊपर रखा है, जैसे, “वही काम हम करेंगे या हम वही काम दूसरों से करवाएंगे” :-
(a) “अगर वही काम हम करेंगे तो” :- उससे हमारा कितना समय बचेगा और उस बचे हुए समय में हम अपने को भविष्य के लिए कितना upgrade करेंगे या उतने ही समय में हम कितना कमा सकते हैं.
(b) “हम वही काम दूसरों से करवाएंगे तो ” :- हमें कितने पैसे देने पड़ेंगे.
जैसे, हम सुबह अपने बच्चों को स्कूल छोडने जायें य़ा उन्हैं ओटो में भेजैं, ज़ो समय बचे, उसमें हम अपने को motivate करने के लिये कोई motivational किताब, motivational video, motivational tv channel देखकर, अपने को तथा अपने आस पास वालों को positive aura में ला सकते हैं.
मित्रों मान कर चलिए इन सबके बाद जीत हमारी ही होगी, ये तय है, अगर नहीं तो ….. उसके लिए हम खुद ही दोषी होंगे. अगर खुद से नहीं हारे तो जीत निश्चित है..
मित्रों कभी भी कोई दूसरा हमारी असफलता के लिए दोषी नहीं हो सकता, ये बात हमें हमेशा मान कर चलनी होगी.
डॉ. राहत इन्दौरी ने सही कहा है :
’’तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो.
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो.”