तुम इस जड़ को प्राण दो, तुम इस जड़ को धड़कन दो,
तुम इस जड़ को शब्द दो,
और ये तुमसे प्यार न करती हो, ये कैसे हो.
तुम इस मन को सुख दो, तुम इस मन को विश्वास दो,
तुम इस मन को राह दो,
ये तुम्हे प्यार न करता हो, ये कैसे हो.
तुम इस बुद्धि को समझ दो, तुम इस बुद्धि को ज्ञान दो,
तुम इस बुद्धि को कल्पनाएं दो,
ये तुम्हे प्यार न करती हो, ये कैसे हो.
बस इसी प्यार के सहारे ये जड़ मन बुद्धि जीवित है.
आपके ही तो सहारे हम इस मुश्किल राह पर चलने के लिए प्रेरित हैं.
इसीलिए तो आ जाते हैं हम आपके बुलाने पर.
तुम इस जड़ को प्राण दो, तुम इस जड़ को धड़कन दो,
मन में कुछ भर कर जीयंगे.., तो मन भर कर नहीं जी पाएंगे.!!