हम इन्सान भी बड़े अजीब होते है, अपनी सफलताओं का श्रेय तो हम पूरा का पूरा खुद लेना चाहते है, लेकिन अपनी असफलताओं का ठीकरा दुसरो पर फोड़ देते हैं.
हम गलती तभी सुधार सकते हैं, जब हम गलती को स्वीकारते हैं, अपनी गलती को मानना ही सुधार की दिशा में पहला कदम होता है.