आप किसे ठीक मानते है ?
1-पहली सोच
फूल बन कर क्या जीना,
एक दिन मुरझा जाओगे,
और दफना दिये जाओगे,
जीना है तो पत्थर बन के जियो,
कभी तराशे गये तो खुदा कहलाओगे !!!
2-दूसरी सोच
जियो तो फूल बन कर,
ताकि किसी की ज़िन्दगी महका सको,
पत्थर बन कर क्या जीना,
किसी ने नही तराशा तो,
ठोकर तो न खा सको..