एक परिंदा रोज खटखटाने आता है, दरवाजा मेरे घर का _
_ जरूर लकड़ी उसी पेड़ की होगी, जिस पर कभी आशियाना था उसका ..
ख़्वाब तो परिंदों के होते हैं आसमान छूने के,
_ इंसान तो बस गिरने गिराने में लगे हैं..!!
_ जरूर लकड़ी उसी पेड़ की होगी, जिस पर कभी आशियाना था उसका ..
_ इंसान तो बस गिरने गिराने में लगे हैं..!!