सुविचार 1334

एक परिंदा रोज खटखटाने आता है, दरवाजा मेरे घर का _

_ जरूर लकड़ी उसी पेड़ की होगी, जिस पर कभी आशियाना था उसका ..

ख़्वाब तो परिंदों के होते हैं आसमान छूने के,

_ इंसान तो बस गिरने गिराने में लगे हैं..!!

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected