हम हर दिन ज्ञान और सद्भाव की बड़ी- बड़ी बातें सीखते हैं और रोजाना वे बातें हमारे सामने से कई बार गुजरती हैं. हम सब पिंजरे के तोते की तरह बोलते और सुनते रहते हैं, लेकिन उसका कोई असर हमारे वास्तविक जीवन और कार्य पर होता नहीं दिखाई देता, जिस कारण हम हमेशा दुख, अवसाद और क्रोध के पिंजरे में कैद पड़े रहते हैं.
अभी भी समय है. यदि हम उमंग और उल्लास से विशाल वातावरण में उड़ना चाहते हैं तो हमें अपने जीवन के शब्दों के अर्थ को मन से समझना होगा. यदि हम सचमुच ऐसा कर सके, तो हमारा जीवन निश्चित रूप से दूसरों के लिए एक प्रेरणा बनेगा, इसमें कोई संदेह नहीं.