सुविचार – अन्न – अनाज – 144

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“अन्न जिस धन से खरीदा जाए _ वह धन _ ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए “

…तथा याद रखें _ जैसा अन्न वैसा मन..!!

जो खेतों पर मेहनत करते हैं, जो दिन रात डटे रहते हैं, भूखे प्यासे यहां तक की अपनी नींदें भी गवां देते हैं,

– उनसे पूछो अन्न का एक-एक दाना का कीमत क्या होता है..
_ कद्र करो उनकी जिनकी वजह से हम पेट भर खाना खा पाते हैं,
_ अनाज को कूड़ेदान में ना फेंको.!!
ये जितने लोग अन्न 🌾 का अपमान करते हैं, उन्हें इस वक्त गेहूं की कटाई के लिए तपती दोपहर में खेतों में भेज देना चाहिए,

इन्हें भी पता होना चाहिए जिस रोटी का ये अपमान करते हैं, वो रोटी धूप में बहाए पसीने और कलेजे पर बल और जान की परवाह किए बिना, किसी किसान के द्वारा काटे गए गेहूं से उपजी होती है,
जिसे आराम से छत के नीचे बैठकर तुम खाते हो.. और जितना जी चाहे अपने धन के रौब में उसे बर्बाद करते हो..
– रिदम राही

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