बढ़ती गर्मी के मद्देनजर अब समय आ गया है कि ..हमें अपनी धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक और जहां तक संभव हो.. आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने, बदलने या खत्म करने की जरूरत है..!!
_ 49 डिग्री में जन्मदिन, शादी भोज तथा अन्य प्रकार के भोज करना बंद करना होगा..
_ घर में लोगों (खासकर पुरुषों ) को दोनों समय छप्पन व्यंजन खाने की आदत बदलकर पुराने समय की तरह चना चबैना, सत्तू, शर्बत पर आना होगा..
..या भट्ठी जैसे धधकते किचेन में जाकर खुद पकाने की आदत डालनी होगी..
_ आर्थिक गतिविधियों में भी जो संभव हो ..उन्हें अब रात्रि कालीन करना चाहिए..!!
_ पेड़ लगाने और पानी बचाने की बात को पोस्टर, बैनर और फेसबुक से आगे निकलकर धरातल पर उतरना होगा..
_ प्लास्टिक और डिस्पोजेबल का उपयोग बंद नहीं तो कम ज़रूर करना होगा..
_ गर्मी से बचने,लड़ने के लिए नए ढंग से सोचने,करने की जरूरत है..
_पुराने ढंग में तो इंसान जिंदा ही नहीं बचेगा..
_ अगर शारीरिक रूप से जिंदा बचा भी तो मानसिक रूप से वह असंतुलित होकर जिएगा..
_ अनिद्रा, थकान सब उसे चिड़चिड़ा बना रहे हैं ..!!
_ जरूरी नहीं कि मेरी बात से आप सहमत हों..!!
_ क्योंकि प्रथाओं, परंपराओं, जीवनशैली, आर्थिक/सामाजिक गतिविधियों को बदलना आसान नहीं होता..
_ ..पर जब सरवाइव करने की लडाई हो तो ..बदलाव अपने आप आ जाते हैं..!!
– Mamta Singh