प्रेरणा….
प्रेरणा अंतर्मन से निकली हुए अग्नि होती है, कभी कभी ये दुसरे के प्रभाव से भी उत्पन्न होती है किन्तु वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाती ! अतः सदेव अंतर्मन से प्रेरणा लें, यदि किसी अन्य स्त्रोत से मिल भी जाए तो यथा संभव उसे अपने अंतर्मन से एकाकार कर लेवे ताकि वो स्थाई हो सके !!!