“परेशानिया” चाहे जितनी हो, “चिंता” करने से और ज्यादा “खामोश” होने से बिलकुल “कम”
“सब्र” करने से “खत्म” हो जाती हैं, और मालिक का “शुक्र” करने से “खुशियों” मे बदल जाती है.
“सब्र” करने से “खत्म” हो जाती हैं, और मालिक का “शुक्र” करने से “खुशियों” मे बदल जाती है.