चुनौतियों से भरी उपलब्धियां कामयाब बना सकती हैं, पर खुशहाल नहीं. पाने की तृष्णा असीमित, अछोर और अनंत है पर अनमोल जीवन से बढ़ कर कुछ नहीं है.
कामयाबी, जो जीवन की खुशहाली का मापदंड बना हुआ है, मात्र भरम है. इस की प्राप्ति की राह में कभी विस्मृत नहीं होना चाहिए कि हम से कामयाबी है, न कि हम कामयाबी से.
जीवन के संतुलन को हर हाल में बनाए रखना चाहिए. कोहरे में घिरी कामयाबी को आत्मतुष्टि की ऊष्मा से पिघलते रहना चाहिए ताकि यह जनून बन कर जीवन का सारा सुकून न छीन ले.