पृथ्वी पर दो प्रकार के लोग होते हैं. एक वो, जो जिन्दगी को रचनात्मक तरीके से जीते हैं और दूसरे वो, जो जिन्दगी को दुर्घटना की तरह जीते हैं.
दुनिया में नब्बे प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं, जो कब आते हैं और कब चले जाते हैं, कोई नहीं जानता. उनके बारे में इतिहास में कुछ लिखा नहीं जाता. ये लोग थोक में आते हैं और फुटकर में चले जाते हैं. केवल दस प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं, जो पृथ्वी पर आने के बाद यह निर्णय लेते हैं कि मै यूँ ही नहीं मरने वाला. मै कुछ अलग करके जाऊँगा.
कुछ लोग जीते नहीं, जीने की तैयारी में ही जीवन गुजार देते हैं.
जीना भी एक कला है, जीते तो सभी हैं, लेकिन कलापूर्ण एवं सफल जीवन जीना एक कला से कम नहीं.
जीवन में कुछ बातों को अपनाने एवं कुछ बातों को त्यागने से आने वाली मुसीबतों से बचा जा सकता है.