एक हद के बाद इंसान, सब कुछ छोड़ देता है..
शिकायत करना, मिन्नतें करना, मनाना और फिर दिल ऐसा हो जाता है,
कि कोई बात करे तो ठीक, ना करें तो भी ठीक,
क्योंकि पता लग चुका होता है, कि दुनिया बहुत झूठी और मतलबी है.
शिकायत करना, मिन्नतें करना, मनाना और फिर दिल ऐसा हो जाता है,
कि कोई बात करे तो ठीक, ना करें तो भी ठीक,
क्योंकि पता लग चुका होता है, कि दुनिया बहुत झूठी और मतलबी है.