सुविचार 1891

इस अस्तित्व में किसी का पात्र भी खाली नहीं है, सब भरे हैं …… अस्तित्व किसी के साथ अन्याय नहीं करता ….!! बस अंतर है तो सिर्फ इतना, जितना आपका पात्र खाली होगा उतना ही भरेगा. किसी का पात्र छोटा होगा तो उसने उसको उतना ही भर दिया.

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