मनुष्य के सारे दुःख-दर्दों की जड़ उसके ‘मन’ के उपद्रव हैं. अतः विश्व में से ‘‘दुःख-दर्द’’ गायब करने का एक ही उपाय है कि मनुष्य को ‘मन’ की कार्यप्रणाली बाबत ठीक से शिक्षित किया जाए.
अगर लोग शिक्षित नहीं हैं, तो वे सवाल नहीं कर सकते ;
_यदि वे सवाल नहीं कर सकते, तो वे कुछ भी नहीं बदल सकते.!!