इंसान उन्हें भी पूरी तरह नही जान पाता जिनके साथ पूरी ज़िंदगी बिता देता है, लेकिन ऐसे अन्य किसी व्यक्ति के बारे में बिना मिले या फिर एक बार मिल कर ही ऐसे वक्तव्य देने लगता है जैसे वो इन्हें पूरा जान गया हो, और भूल जाता है असली सवाल दूसरे को पहचानना नही बल्कि स्वयं को जानना है.