दूसरे को नहीं, खुद को बदलें…
देखा जाए तो परोक्ष रूप से मनुष्य के तमाम दुखों और तकलीफों का आधार यह सोच रही है कि मेरे दुख का कारण सामने वाला है. हम परिस्थितियों या किस्मत के साथ भी यही रवैया रखते हैं कि वह बदलें हम नहीं.
देखा जाए तो परोक्ष रूप से मनुष्य के तमाम दुखों और तकलीफों का आधार यह सोच रही है कि मेरे दुख का कारण सामने वाला है. हम परिस्थितियों या किस्मत के साथ भी यही रवैया रखते हैं कि वह बदलें हम नहीं.