सुविचार – इंतज़ार, इन्तजार, प्रतिछा – 202

ऐ ज़िन्दगी !

कितना और इंतज़ार करवाओगी ?
पहले राशन की लाईनों में
टिकट खिड़कियों में
बसों ट्रेनों के दरवाजों पर
सिनेमा के बुकिंग आफिस पर
इंटरव्यू के लिये दफ्तरों के आगे
फिर अस्पतालों में
और अब . ….
डाक्टरों के केबिन के बाहर‌ ।
जिंदगी
एक इंतज़ार है।
एक लम्बा रहस्य से भरा।
जिसमें सामने एक भयानक नदी है
और उस पार डरावना आग का दरिया।
राह इतनी भी आसान नहीं।
दूर होना तो और
मुश्किल।
लेकिन तू है न ! ( रब्ब )
– तेज बीर सिंह सधर

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected