पत्ते सूखकर स्वयं झड़ जाते हैं…
आम पककर स्वयं गिर जाते है…
इसी तरह जब हमारी सत्य की समझ बढ़ जाती है…
तो स्वयं ही हमारा भटकना बंद हो जाता है…
आम पककर स्वयं गिर जाते है…
इसी तरह जब हमारी सत्य की समझ बढ़ जाती है…
तो स्वयं ही हमारा भटकना बंद हो जाता है…