जीवन में विपरीत समय में उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों में स्वयं को शांत रखने पर हम स्वयं को मजबूत पायेंगे, क्योंकि लोहा तभी मजबूत होता है, जब वह ठंडा होता है, गरम लोहे को तो थोड़ा सा बल प्रयोग करके ही तोड़ा या किसी अन्य आकर में सहजता से ढाला जा सकता है.