अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाओ, अपने अतीत को नहीं.
अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाओ, अपने अतीत को नहीं.
कल्पना के बाद उस पर अमल जरूर करना चाहिए.
सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी जरुरी है.
सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी जरुरी है.