अपनी बीती जिंदगी का स्वार्थ से परे खालीपन में अवलोकन करें, तो पता चलेगा आपने कहां छल- कपट से जीत हासिल की और कहां ईमानदारी से. अगर अपने छल पर पछतावा होता है, तो अवश्य ही उसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी. यह प्रेरणा उम्र के साथ स्वतः ही उत्पन्न होती है, जो मनुष्य को अनुभवी बनाती है.