भविष्य , वर्तमान….
यदि हम जरुरत से ज्यादा ही भविष्य के बारे में सोचने लगेंगे, चिंता करने लगेंगे तो हम हमारा वर्तमान भी बिगाड़ लेंगे, अतः भविष्य के लिए उतना ही सोचना चाहिए जितना जरुरी हो ! कई लोग भविष्य की कल्पनाओं में ही डूबे रहते है याद रखिये भविष्य जब भी आएगा वर्तमान बनकर ही आयेगा यानि भविष्य आयेगा ही नहीं ! तो क्यूँ न उसी की फ़िक्र करे जिससे जीवन में दो चार होना ही है यानी सिर्फ वर्तमान के बारे मे ही सोचे !!! वैसे भी साधारण मनुष्य के भविष्य के बारे में सोची गई बाते १ या २ प्रतिशत ही साकार होती है ज्यादातर कोरी हवाई कल्पना ही सिद्ध होती है !!!