सुविचार – क्या आपको पता है ? कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है, – 2180

क्या आपको पता है ? कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,

उसका एक पल्ला स्त्री और, दूसरा पल्ला पुरुष होता है.

ये घर की चौखट से जुड़े-जुड़े रहते हैं,

हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं.

खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं.

घर की चौखट के साथ हम जुड़े हैं,

अगर जुड़े नहीं होते, तो किसी दिन तेज आंधी तूफान आता,

तो तुम कहीं पड़ी होती, हम कहीं और पड़े होते.

चौखट से जो भी एक बार उखड़ा है, वो वापस कभी भी नहीं जुड़ा है.

इस घर में यह जो झरोखें और खिड़कियां हैं,

यह सब हमारे लड़के और लड़कियाँ हैं,

तब ही तो, इन्हें बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं.

पूरे घर में जीवन रचा बसा रहे,

इसलिए ये आती जाती हवा को,

खेल ही खेल में, घर की तरफ मोड़ देते हैं.

हम घर की सच्चाई छिपाते हैं, घर की शोभा को बढ़ाते हैं,

रहे भले कुछ भी ख़ास नहीं, पर उससे ज्यादा बतलाते हैं.

इसलिए घर में जब भी, कोई शुभ काम होता है.

सब से पहले हमीं को, रंगवाते पुतवाते हैं.

पहले नहीं थी, डोर बेल बजाने की प्रवृति.

हमने जीवित रखा था जीवन मूल्य, संस्कार और अपनी संस्कृति.

बड़े बाबू जी जब भी आते थे, कुछ अलग सी साँकल बजाते थे.

बहुएं अपने हाथ का, हर काम छोड़ देती थी.

उनके आने की आहट पा, आदर में घूँघट ओढ़ लेती थीं.

अब तो कॉलोनी के किसी भी घर में, किवाड़ रहे ही नहीं दो पल्ले के.

घर नहीं, अब फ्लैट है, गेट हैं इक पल्ले के.

खुलते हैं सिर्फ एक झटके से, पूरा घर दिखता बेखटके से.

दो पल्ले के किवाड़ में, एक पल्ले की आड़ में,

घर की बेटी या नव वधु, किसी भी आगन्तुक को,

जो वो पूछता बता देती थी,

अपना चेहरा व शरीर छिपा लेती थी.

अब तो धड़ल्ले से खुलता है, एक पल्ले का किवाड़.

न कोई पर्दा न कोई आड़,

गंदी नजर, बुरी नीयत, बुरे संस्कार, सब एक साथ भीतर आते हैं.

फिर कभी बाहर नहीं जाते हैं.

कितना बड़ा आ गया है बदलाव ?

अच्छे भाव का अभाव, स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव.

सब हुआ चुपचाप, बिन किसी हल्ले गुल्ले के.

बदल दिये किवाड़, हर घर के मुहल्ले के.

अब घरों में दो पल्ले के, किवाड़ कोई नहीं लगवाता.

एक पल्ली ही अब, हर घर की शोभा है बढ़ाता.

अपनों में नहीं रहा वो अपनापन.

एकाकी सोच हर एक की है.

एकाकी मन है व स्वार्थी जान

अपने आप में हर कोई, रहना चाहता है मस्त,

बिलकुल ही इकलल्ला,

इसलिए ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ एक ही पल्ला.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected