सब कुछ बिखर जाने दो मेरा यार,
_ सारा परिवार, मित्र, रिश्तेदार
_ हाथ की अँगूठी तक भी
_ फिर भी उत्साह मेरा लौट आएगा
_ बुझेगी नहीं मेरी आँच
_ इस बची- खुची रोशनी से भी
_ जला लूँगा ढेर सारे दीपक
_ उपजा लूँगा फिर से
_ सूखी हुई फसल
_ और तुम्हें दिखाऊँगा
_ अपना हँसता हुआ चेहरा फिर से
_ क्योंकि तुम्हारे ही बोये
_ हिम्मत के नये बीजों ने
_ जन्म लिया है दोबारा मुझमें !





