एक आकलन के अनुसार, 87 प्रतिशत लोग विपरीत परिस्थितियों से थक कर अपने ध्येय और मंजिल को बीच में ही छोड़ देते हैं.
दरअसल, हम किसी की सफलता को देखते हैं, लेकिन हम उसके अंदर के जूनून का आकलन नहीं करते. यह जूनून ही है जो हमें अपने ध्येय तक पहुंचा सकता है.