ड्रामैटिक होकर सहानुभूति बटोरने की आदत है, तो फौरन उसे सुधारने पर ध्यान दें.
_ बहुत-से लोग अपनी निजी ज़िंदगी, अपनी बीमारी और घरेलू समस्याओं को सबके सामने बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं और सोचते हैं, इससे लोगों की सहानुभूति उन्हें मिलेगी.
_ जबकि पीठ पीछे यही लोग उनकी इस आदत का मज़ाक बनाते हैं, क्योंकि ये समस्याएं तो सभी की हैं,
_लेकिन हर कोई इन्हें अटेंशन पाने का ज़रिया नहीं बनाता.
उन चीजों के लिए लोगों को आंकना बंद करें जो आप निजी तौर पर भी करते हैं.
Stop judging people for the things you also do in private.