सुविचार 2775

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आज एक और सुबह तूने मेरी झोली में डाल तो दी है मेरे मालिक…

हर लम्हे को तेरे ही मुताबिक गुजारूं, ये काबलियत भी मुझे दे दे…

 

 

 

 

 

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