मन की इच्छाए…
मन की इच्छाए श्रेष्ठ कर्मो में, अच्छे कर्मो में अक्सर बाधा खड़ी करती हैं, अतः श्रेष्ठ कर्मो को सर्वोपरि मानने वाले इच्छा से रहित होते है, जो योग्य है वही कर्म करते है ! इच्छा शेष होना, इच्छा रहित होना जीवन की श्रेष्ठतम उपलब्धि है !!!
मन की इच्छाए श्रेष्ठ कर्मो में, अच्छे कर्मो में अक्सर बाधा खड़ी करती हैं, अतः श्रेष्ठ कर्मो को सर्वोपरि मानने वाले इच्छा से रहित होते है, जो योग्य है वही कर्म करते है ! इच्छा शेष होना, इच्छा रहित होना जीवन की श्रेष्ठतम उपलब्धि है !!!