“हर गिरना मुझे ऊँचाई के और करीब ले जाता है”
_ ऊँचाई तक पहुँचने का सफर सीधा नहीं होता ; हर गिरना भी उसी यात्रा का हिस्सा है, जो हमें और मज़बूत और सच्चा बनाता है”
_ वहां तक पहुँचने के लिए मुझे कई बार गिरना होगा, टूटना होगा, और फिर सँभलना होगा.
_ “हर गिरना ही मुझे उस ऊँचाई के करीब ले जाएगा”