आपके मन में अगर किसी को दुःख देने का जरा सा भाव है तो आप अपने लिए बीज बो रहे हो, क्योंकि आपके मन में जो दुःख देने का बीज है, वह आपके मन की धरती में गिरेगा, किसी दूसरे के मन की धरती में नहीं गिर सकता । बीज तो आपके अंदर है पेड भी आपके अंदर ही होगा और फल भी आपको ही भोगना पड़ेगा..